चीन ने भारत को धोखेबाज कहा, चीनी अखबारों में ‘युद्ध’ की बात
चीनी मीडिया में लिखा गया, “अगर भारत और चीन के बीच विवाद सही तरीके से नहीं निपटाया गया तो दोनों देशों के बीच युद्ध संभव है।”
चीनी मीडिया में लिखा गया, “अगर भारत और चीन के बीच विवाद सही तरीके से नहीं निपटाया गया तो दोनों देशों के बीच युद्ध संभव है।”
चीन और भारत के बीच जुबानी जंग बढ़ती जा रही है। अब चीन ने भारत पर धोखा देने का आरोप लगाया है। सिक्किम के पास चीनी सेना को सड़क बनाने से रोका गया तो चीन ने आज कहा, भारत को अपनी सेना को पीछे हटा लेना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा सिक्किम सेक्टर में भारत-चीन की सीमा बिल्कुल साफ तरीके से अंकित है। शुआंग ने प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से कहा, ‘‘चीनी जमीन में घुस कर और चीनी सैनिकों की सामान्य गतिविधियों को बाधित कर, भारत ने सीमा पर स्थापित कन्वेंशन और अंतरराष्ट्रीय कानून के बुनियादी उसूल का उल्लंघन किया है और सीमा क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता बाधित की है।’’
चीनी प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम भारतीय पक्ष से चाहते हैं कि वे अपने सैनिकों को सीमा के भारतीय हिस्से में लौटाए और संबंधित क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बहाली की स्थितियां पैदा करे।’’
चीन और भारत ‘दोका ला’ क्षेत्र में तकरीबन एक महीने से तनातनी की स्थिति में फंसे हैं जो 1962 के बाद से दोनों देशों की सेनाओं के बीच सर्वाधिक लंबा प्रतिरोध है। 1962 में दोनों देशों के बीच जंग हो चुकी है। सिक्किम मई 1976 में भारत का हिस्सा बना। यह एकमात्र प्रदेश है जहां चीन के साथ सीमा सीमांकित है। यहां रेखा चीन के साथ 1898 में हुई संधि पर आधारित है। दोका ला उस क्षेत्र का नाम है जिसकी भूटान दोकलाम के रूप में पहचान करता है जबकि चीन उसे अपना दोंगलांग क्षेत्र होने का दावा करता है।
चीन की सरकार के प्रवक्ता ने तो फिर भी संभलकर बात की। चीन के अखबार तो युद्ध की बात करने लगे हैं। चीनी मीडिया में लिखा गया, “अगर भारत और चीन के बीच विवाद सही तरीके से नहीं निपटाया गया तो दोनों देशों के बीच युद्ध संभव है।” चीन सरकार के अपने अखबार ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया “चीन अपनी सीमा की संप्रभुता बरकरार रखने के लिए कटिबद्ध है और इसके लिए वो युद्ध करने तक जा सकता है।” चीनी अखबार ने लिखा है कि अगर भारत और चीन के बीच युद्ध होगा तो इस बात की बहुत कम संभावना है कि अमेरिका उसमें सीधे दखल देगा, हालांकि वो भारत को हथियार वगैरह बेच सकता है।
चीन ने इससे पहले बयान दिया था कि भारत को 1962 के युद्ध का सबक याद रखना चाहिए। इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि “2017 का भारत 1962 के भारत से अलग है।” जेटली के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी रक्षा विशेषज्ञ वांग देहुआ ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि “चीन भी 1962 वाला नहीं है।” वांग देहुआ शंघाई म्युनिसिपल सेंटर में प्रोफेसर हैं। वांग ने कहा, “भारत 1962 से भारत को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी समझता है क्योंकि दोनों देशों में कई समानताए हैं। मसलन, दोनों ही विकासशील अर्थव्यवस्था हैं, दोनों की जनसंख्या बड़ी है।”